मंगलवार, 10 दिसंबर 2019

कुछ तो लोग़ कहेंगे

      कुछ तो लोग़ कहेंगे

                                                                                                                                                                                                                     Image result for kuch toh log kahenge pics



                 अब जब ज़िंदगी के मझधार में आकर 
                                               जिन्दगी को समझने की कोशिश  की
                तब समझ आया की दुनिया को मन की 
                                                  से नहीं तन की आँखों से देखो 
                  वो करो जो सही हो और तुम्हे अच्छा लगे 
,                                                लोग क्या कहेंगे यह सोच कर मत डरो 
                ये जिंदगी आपकी है इसे अपने तरीके से जिओ ,
                                                 लोगोँ की बातों को नजरअंदाज करो 
                  एक शरीर के ऊपर दो दो चेहरे लेकर घूम रहे हैं ,
                                            अंदर कुछ और बाहर कुछ और दिख रहे हैं 
               रिश्ते नातों ,अपनों का भी लिहाज नहीं कर रहे हैं ,
                                                  जहाँ मतलब है वहां का रुख कर रहे हैं 
               इर्षा ,द्वेष ,जलन ,अहं का गहने पहने हुए हैं ,
                                               अपनों के सुख से नहीं परेशानी से खुश हुए हैं 
               तारीफ तो करते नहीं सिर्फ बुराई करते हैं ,
                                             अपनों की अच्छाइयों को बुराइयों में बदल
                    किसी को दिल से नहीं दिमाग से परखो 
                                                रिश्तोँ  के प्रति अपना नजरिया बदलो 
            अपने वही जो आपके दुःख में भी साथ हो 
                                                 सुख के साथी रिश्तों को दिल से निकालो 
                कभी भी किसी का बुरा न सोचो न करो ,
                                              जब भी करो हमेशा सबका भला ही करो ,
            बुराई को बुराई से नहीं हमेशा भलाई से मारो ,
                                            अच्छे कर्म करो फल की इच्छा न करो 
 सबकी मदद करके हमेशा सबकी दुआएं ही लेना ,
                                          अपनी जिंदगी में सच्ची खुशियों को है पाना 
            कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना 
                                          ,छोड़ो बेकार की बातों से हमको क्या है डरना 

                                          
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रविवार, 27 जुलाई 2014

इन्तहा इंतज़ार की

इन्तहा इंतज़ार की 



दो आँखों की बेकरारी कर रही है किसी का इंतज़ार 
ये बिखरा हुआ सन्नाटा उसको कर रहा है बेकरार 
उसके कदमो की आहट सुनने को है बेताब 
वो है उसका नूरे नजर ,गुले-गुलजार, आफताब
जाने कब हो गया अचानक वो ओझल
 इन्तजार का एक एक पल  अब लगता है बोझल
आँगन में लगे पेड़ पर पतझड़ के बाद आई बहार
 उसकेजीवन में ना आया पतझड़ ,सावन ,वसन्त. बहार
वो आएगा एक दिन  जरूर यही है उसका विश्वास
इन्तजार में जी रही, उसके जीवन की यही है सबसे बड़ी आस
जीवन के प्रत्तेक लम्हे  में है सिर्फ उसी का  इन्तजार
सब कुछ भूल गई है, जोगन की तरह बस याद है उसका प्यार
याद मेंउसकी तड़प तड़प के होती जा रही है वो बाबरी
रो रो के बेहाल हो गई उसकी दो आँखे कजरारी
जान से भी ज्यादा जिसको प्यार करती है वो बेइन्तहा 
अब तो उसके इन्तजार की हो गई है इन्तहा
उसकी आशा का दीपक भी अब टिमटिमा रहा है 
पर ये सन्नाटा और क्यों गहराता जा रहा है 
ये सन्नाटा और क्यों गहराता जा रहा है?












मंगलवार, 22 जुलाई 2014

आया सावन झूम के

आया सावन झूम के 


जब ठंडी हवाओं के झोंके चलने लगे 
मिटटी की सोंधी सोंधी खुसबू महकने लगे 
पेड़ पोधे जब ख़ुशी से झूमने लगे 
चारों तरफ हरियाली छाने लगे 
   रिमझिम फुआरें तन मन को भिगाने लगे 
प्रियतम की जब मीठी मीठी याद सताने लगे 

तो समझो आया सावन झूमके 

जब मीठे मीठे अरमान जगाने लगे 
दिल प्यारे प्यारे गीत गुनगुनाने लगे 
चूड़ी ,बिंदिया,कंगना सजने लगे 
पेड़ों पर झूले पडकर पेंग चढ़ने लगे
मौसम में चारों तरफ मदहोशी छाने लगे 
                 पानी की नन्ही नन्ही बूंदे पत्तों पर झिलमिलाने लगे 

तो समझो आया सावन झूम के 

पपीहा पीहू पीहू कर बुलाने लगे 
कोयल कूहू कूहू कर गीत गाने लगे 
रिमझिम के गीत सावन गुनगुनाने लगे 
तन मन मयूर बन आँगन में नाचने लगे 
रेशमी हवाओं के झोंके दिलों को गुदगुदाने लगे 
 धानी चुनरियाँ हवाओं में लहराने लगे 

तो समझो आया सावन झूमके 



  



रविवार, 30 दिसंबर 2012

अगले जनम किसी को बिटिया ना कीजो

अगले जनम किसी को बिटिया ना कीजो 


जब छोटी सी कली आंगन में  मुस्कुराती है 
सारे घर में बहार सी छा जाती है
मम्मी पापा की बहुत दुलारी
भाइयों की जान से प्यारी
जब घर में ठुमक-ठुमक कर चलती है
उसके पावं की पायल रुनझुन बजती है
सारे घर में रोनक सी छा जाती है
जब वो नन्ही परी खिलखिलाती है
जरा सी चोट लगने पर माँ के आँचल में सिमट जाती है
और अपने दर्द को रो रो कर आंसू द्वारा माँ को दिखाती है
माँ का दिल कलप -कलप जाता है
पिता का प्यार आँखों से छलक जाता है
वो मासूम सी कोमल कली जब बड़ी हो  जाती है
कुछ दरिंदों के लिए सिर्फ शरीर बन जाती है
बिना किसी गलती के अपनी छणिक वासनापूर्ति के लिए
उसकी आत्मा और शरीर को कुचलकर ठहाका लगाते हैं
और अपनी दरिंदगी का सबूत मिटाने के लिए
उस बेबस और  मजबूर लड़की की  ह्त्या करने से भी नहीं हिचकाते हैं
वो मासूम बिटिया दर्द से तड़फ तड़फ कर माँ के आँचल को पुकारती है
पर उन दरिंदों के ठहाकों में उसकी दर्द भरी चीखें गुम हो जाती हैं
क्या कुसूर था  मेरा ये उसकी खुली हुई बेजान आंखें पूछ रही हैं
देश के नेता ,पुलिश,जनता खड़ी बड़ी -बड़ी बातें कर तमाशा देख रही है
इन्साफ तो नहीं , उसका सबसे छुपा कर अंतिम संस्कार कर दिया जाता है
 देश का  नेता ऐसे समय में भी अपना पैंतरा खेलने से बाज नहीं आता है
इस देश में गर्भ में कन्या भ्रूण ह्त्या करना ही अच्छा होगा 
क्योंकि ऐसे समाज में बेटियों को पालना नामुमकिन होगा
क्या इन वहशी दरिंदों के लिए बेटियों को पालकर बड़ा करें 
इससे तो अच्छा है की उनको गर्भ में ही मारकर उनका भला करें   
भगवान् मेरी बस एक अर्ज सुन लीजो 
अगले जनम में किसी को बिटिया ना कीजो 








रविवार, 16 दिसंबर 2012

शादी की 25वी सालगिरह एक खूबसूरत सफर

शादी की 25वी सालगिरह
एक खूबसूरत सफर  


25 साल जिंदगी के एक हसीं पल के रूप में गुजर गए
  जिसके  सतरंगी रंग सदा के लिए आँखों में बस गए  
14थ फरवरी 1987 को वो अनोखा दिन आया 
जो मेरे जीवन में एक खूबसूरत मोड लाया
एक प्यारा सा अजनबी सगाई की अंगूठी पहना गया 
और पहली ही नजर में हमको अपना बना गया 
फिर तो दिल में  सितार बजने लगे 
आँखों में सतरंगी सपने सजनें लगे 
एक अजब सा खुमार छाने लगा
दिल में मीठा मीठा एहसास जगाने लगा 
13थ दिसम्बर 1987 का वह अनुपम दिन 
मेरे सपनो का राजकुमार बेंड -बाजे के साथ आया
.और फूलों से सजी कार में विदा करा कर ले गया 
बहुत भारी दिल से बाबुल का घर से विदा होकर
जब घबराहट भरे मन से ससुराल मे पहला कदम रखा
वहां फूलों की बारिश से ऐसा स्वागत हुआ कीसारा डर
छूमन्तर हो गया और इन  नए रिश्तों के
अपनेपन और प्यार में हमेशा के लिए खो गया
फिर जीवन ने ली एक नई करवट
और सुनाई दी नन्हे कदमों की मधुर आहट
24थ सितम्बर को एक नन्ही परी ने जन्म लिया
और हमको मम्मी पापा बनने का सोभाग्य दिया
 उसने सबको नए नए रिश्तों में बाँध लिया
और सारे घर को मधुर किलकारियों से गुंजा दिया
फिर आठ साल के बाद दूसरी परी का आगमन हुआ
और इसके साथ ही हमारा परिवार सम्पूर्ण हुआ
दोनों कलियों को बड़ा करने में समय का पता ही नहीं चला
25 साल का रंग बिरंगा सफर बस यूँही पल में गुजर गया
25 साल क्या 25 जन्मों का साथ रहे हमारा
क्योंकि इतना सद्गुणी .सुंदर जीवन साथी फिर नहींमिलेगा दुबारा
 जिसने मेरे जीवन को प्यार और खुशियों से भर  दिया
मेरी सारी इच्छाओं,आकांछाओं और सपनों को पूर्ण किया  
इतना प्यारा हमसफ़र चुनने के लिए मैं  देती हूँ 
अपने मम्मी-पापा को कोटि-कोटि धन्यवाद
और आगे की जिंदगी के लिए भी चाहती हूँ
आप सबकी दुआयें और ढेर सारा आशीर्वाद








सोमवार, 26 नवंबर 2012

रावण की अयोध्या

रावण की अयोध्या 


आज राम की नहीं रावणों की अयोध्या हो रही है 
क्योंकि रावणों की ही मनमरजी से ही अयोध्या चल रही है 
जो जितना दुष्ट ,भ्रष्ट,पापी ,धोखेबाज है 
उतना ही बड़ा राजा ,नेता और धर्मराज है
मर्यादा पुर्षोत्तम राम तो अब नादान है 
उसकी मर्यादा,ईमान,का नहीं कोई कद्रदान है
आज ऐसे इंसान बेवकूफ कहलाते हैं
उनकी इमानदारी और उसूलों का सब मजाक उडाते हैं 
माता पिता की आज्ञा नहीं मानने में अपनी शान समझते हैं 
उनको वृदा आश्रम भेजने से भी नहीं हिचकते हैं 
पैसा भगवान् हो रहा है ,हर कोई उसका गुलाम हो रहा है 
रिश्तों की यहाँ कोई बहुत कीमत नहीं रह गई
अहम् ,जलन ,धोखेबाजी जैसी बुराइयाँ अजीज हो गई 
भाई भाई के चरण छूने की जगह गला काट रहे हैं 
माँ,बहन  बेटी को सरेआम बेइज्जत कर रहे हैं
रावण खुल कर अयोध्या को लूट कर बर्बाद कर रहे हैं
राम निसहाय दुखी मन से इस बर्बादी का तमाशा देख रहे हैं
काश इस कलयुग  में कोई ऐसे  राम आयें
जो आज के इन रावणों का नाश कर जाए
गर्त  में जा रहे इस देश को बरबाद होने से बचाये
और फिर से इस देश में रामराज्य आ जाये



 

रविवार, 19 अगस्त 2012

देखो चाँद आया

                                                       मेरे सारे ब्लोगर्स साथियों को ईद -मुबारक


देखो चाँद आया 




देखो चाँद आया 
ईद का चाँद निकल आया
सब तरफ खुशियों का उल्लास छाया 
ईद मुबारक -ईद मुबारक का शोर गरमाया    
मुसलमान भाई आपस में गले मिल रहे हैं 
एक दुसरे की  दुआ -क़ुबूल कर रहे हैं

बिना पानी -बिना खाने के रोजा रखते हैं 
एक महीने कठिन तपस्या करते हैं 
रमजान के पवित्र महीने में खुदा की इबादत करते हैं
तो अल्लाह-ताला भी इन पर पूरी नजरें इंनायत रखते हैं 
ईद के दिन हजारों की संख्या में जामा मस्जिद में इकट्ठा होते हैं 


और सफेद कपड़ों में एक साथ नमाज अदा करते हैं 
उस समय जब सब साथ साथ उठते हैं ,बैठते हैं, झुकते हैं  
तो सब एक सूत्र में बंधे शांति के दूत नजर आते हैं 
वो द्रश्य इतना नयनाभिराम होता है की    
आँखों में शान्ति और सुकून भर जाता है 
हिन्दू भाई भी अपने मुसलमान भाइयों के लिए ईद की दावत रखते हैं 
और सब साथ मिलकर खाते -पीते ईद की खुशियाँ मनाते  हैं 
 कुछ स्वार्थी और लालची लोग अपने स्वार्थ के लिए इन भाइयों को आपस में लड़वाते हैं 
और उन्हें धर्म के नाम पर उकसाकर इस देश की शान्ति भंग करवाते हैं 
अब हमको ये समझना है कि रमजान मे "राम" है और दीवाली में भी है "अली "
इसीलिए अब हमें किसी के भी कहने पर नहीं लेना है एक दुसरे की बलि 
सारे मुल्कों को रखना है आपस में भाईचारा 
अब रहेगा सदा यही मकसद हमारा 
सारी दुनिया में अमन -चैन कायम रखना है 
इस खूबसूरत दुनिया का विनाश नहीं करना हैं 


HAPPY - EID 
 


मंगलवार, 14 अगस्त 2012

स्वतन्त्रता दिवस

 

स्वतन्त्रता दिवस 


65वर्ष पूरे हुए हमें स्वतंत्रता दिवस मनाते हुए 
हम  खुश हैं की हम स्वतंत्र हुए 
हम स्वतंत्र हुए महंगाई .चोरबाजारी 
भ्रष्टाचार, बेरोजगारी बढ़ाने को 
हम स्वतंत्र हुए देश का  काला धन 
देश से बाहर जमा करवाने को 
हम स्वतंत्र हुए अपने  ही देश के किसानो को 
आत्महत्या करवाने को 
हम स्वतंत्र हुए अपने ही देश की  औरतों को  सरेआम
 बेइज्जत करके अपनी मर्दानगी दिखाने को 
हम स्वतंत्र हुए राजनीति के नाम पर अपने ही 
देश की इज्ज़त उछालने को 
हम स्वतंत्र हुए अपने देश की सता          
  गुण्डे ,मवालिओं ,लूटेरों को सोंपने को 
हम स्वतंत्र हुए देश के शहीदों द्वारा दी गई 
अपने प्राणों की कूर्बानी  ब्यर्थ करने को  
फिर भी हम खुश हैं कि हम स्वतंत्र  हुए 
हम स्वतंत्र हैं ,हम स्वतंत्र हैं 
यह कहकर अपने दिल को समझा  रहे हैं  
हर स्वतंत्रता  दिवस पर खुशियाँ मना रहे हें  
अपनी ही  बर्बादी का  जश्न मना कर 
दुनिया को दिखा रहे हैं 
अपने दर्दों गम की श्याही को अपनी खुशियों 
में  छूपा रहे हैं 
काश हम अंग्रेजों की गुलामी से  स्वतंत्र ही ना होते  
 तो अपनो के द्वारा अपने ही देश मे परतंत्र ना होते 
 वाह भारतवासी तेरी  सहनशक्ति का जबाब  नहीं 
जबकि तेरी  जान की कीमत इस देश में कुछ भी नहीं 
हे !भारतवासी तुझे सलाम  है । 
हे !भारतमाता तुझे सलाम है 
    .